समाधि अवस्था किसे कहते हैं
May 03,2018 | 108 seed souls

समाधि अवस्था माना जब तुम आत्मस्वरूप बनकर योग करते हो तथा योग करते-करते लवलीन अवस्था बन जाती है तब तुम्हारी सारी कुण्डली की शक्ति जागरूक हो जाती है। और तुम्हारा सहस्त्रार चक्र खुलता है। सहस्त्रार चक्र खुलना माना तुम्हारा कारण शरीर का आत्मा में समा जाना इस अवस्था को निराकारी स्टेज कहते हैं। आत्मा की तीन स्टेज होती हैं। साकारी,आकारी और निराकारी।
भगवान बुद्ध जब समाधि अवस्था में थे तो तब किसी ने उनके कानों में कीलें ठोक दी थी। तब भी उनको पता नही चला क्योंकि उस समय उनका कारण शरीर ऊपर चला गया था। जब वो नीचे आये तब उनको पता चला।
समाधि अवस्था माना :- निराकारी अवस्था का हो जाना। निराकारी दुनियाँ से connection हो जाता है।
सहस्त्रार का मतलब है जब आत्मा आज्ञा चक्र याने छठे चक्र से ऊपर सातवें चक्र, सहस्त्रार में चली जाती है तब आत्मा की निराकारी स्टेज बनती है।
निराकारी मतलब: – समाधि अवस्था याने unconscious स्टेज बनती है। Subconscious स्टेज माना निंद्रा अवस्था। आत्मा का समाधि अवस्था में सूक्ष्म शरीर ,कारण शरीर, निराकारी आत्मा में समा जाता है तब उसे सामाधि अवस्था कहेगें। उस समय उसके शरीर का कोई गला भी काट दे तो उसको पता नही चलेगा क्योंकि उसका सूक्ष्म शरीर भी ऊपर है और कारण शरीर भी ऊपर है।
आइये अब समझते हैं कि कितने प्रकार के चक्र होते हैं? और सब चक्र क्या कार्य करते हैं?
(1) मूलाधार चक्र :- याने रूढ़ चक्र जो भौतिक शक्ति मजबूती और सम्पन्नता का केंद्र है।
(2) स्वाधिष्ठान चक्र:- याने हार चक्र जो काम शक्ति का केंद्र है। अंह का परिचालक है। सक्रिय होने पर व्यक्ति क्रियाशील और रचनात्मक कार्य करता है।
(3) मणिपुर चक्र :- Solar plexus जो ऊर्जा का केन्द्र है। बुद्धि,शक्ति, वीरता एवम साहस का प्रतीक है। जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
(4) हृदय चक्र :- Heart chakr ये निश्च्छल प्यार, दया, करुणा,अपनापन,भाईचारा और आत्मिक विकास भक्ति साधना एवं प्रेम का प्रतीक है।
(5) विशुद्ध चक्र :- Throat chakr जो हमारे संचार अभिव्यक्ति का केन्द्र है। जीवाणु से रक्षा करता है और वाणी की सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
(6) आज्ञा चक्र :- याने third eye जो अंतर ज्ञान का चक्र है। इस चक्र के ध्यान से विवेक-बुद्धि जाग्रत होती है।
(7) सहस्त्रार चक्र:- बम चक्र या crown chakr जो दिव्य ज्ञान व उच्च आध्यात्म का चक्र है।
परमशान्ति
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